मैं मूल्यहीन उपेक्षित था पत्थर का एक टुकड़ा समाज ने कर बार-बार प्रहार दे देकर उपहार दिया एक आकार मूर्ति की तरह आज मैं चमक रहा हूँ सितारों की तरह महक रहा हूँ फूलों की तरह आज मैं जो कुछ भी हूँ समाज की बदौलत यह चमक यह खुशबू समाज […]

आगे बढना शिखर पर चढना आसान नहीं है भाई काटे जाते हैं पर बरसते हैं पत्थर कदम-कदम पर बिछाए जाते हैं काँटे खोदी जाती है खाई आगे बढना शिखर पर चढना आसान नहीं है भाई इस जालीदार दुनिया में सूख गयी है विश्वास की दरिया अपने ही लोग लगे हैं […]

नागराज की भाँति फुँफकारती हुई यह नदी पत्थरों को डँसते हुए पृथ्वी को रौंदते हुए पर्वतों के बीच से शान से चली जा रही है किस मंजिल की तलाश में? पहाड़ की छाती चीरकर सदियों से बह रही है कण-कण से कह रही है – साँसों का मूल्य समझो है […]

न खेती है , न बारी है , न घर है। फिर भी देखो कितना महँगा वर है।। मन में उमंग नहीं ,जीने का ढंग नहीं। जीवन के सागर में एक भी तरंग नहीं।। सभ्यता-संस्कार नहीं, सोच में निखार नहीं। आपस में प्यार नहीं, शिक्षित परिवार नहीं।। काला अक्षर भैंस […]

एक पहाड़ की गगनचुम्बी ऊँचाई देख हम दंग रह गये कि यही है दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़ सबसे सुन्दर और सम्पन्न पहाड़ लेकिन जब और गहराई में गये और, और समझ बढी तब समझ में आया – ऊँचा होना और बात है और सुन्दर और सम्पन्न होना और। उस […]

पैसा   भैया   पैसा    भाभी। पैसा  है  सम्मान  की नाभि।। पैसा  से  सब मिलता साधो , मन   चाहा  उसे   दो  नाधि।। पैसे  से    प्यार   है  मिलता , पैसा  दो  ले लो  हर  लाभी ।। पैसा है सब सुख की  चाभी।। पैसा  नहीं, नहीं  कोई  पूछे , पैसा     है  मर्दों   की   मूंछें। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।