मातृभूमि पर शीश चढ़ाने अपना सीना तान, चल-चल रे नौजवान.. माँ का आँचल दुश्मनों ने रक्त रंजित कर दिया, अनगिनत गोलियों से लहूलुहान कर दिया.. माँ की दुर्दशा देख रो रहा आसमान, चल-चल रे नौजवान…। दुश्मनों को गोलियों से भूनकर रख दो, हाथ जो उठे तो ऊपर,खण्ड-खण्ड कर दो। हौंसले […]