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वो ज़िंदगी में काश दुबारा मिले कभी जैसे कि टूट कर के सितारा मिले कभी उम्मीद जागती है जो ये दिल में बारहा मौजे रवाँ है इसको किनारा मिले कभी बैठा है इंतिजार में मूरत बना कोई तरसी नज़र को ऐसा नज़ारा मिले कभी आख़िर मैं कब तलक यूँ खुदा […]

इस दिल ने कितनो को मारा था किसी एक पे ये भी मरा था, जो हाल मैंने मेरे पर कुछ मरने वालो का किया, उसने भी मेरा वही हाल बना रखा… किस बात से मै दीवाना था किस बात पर! वो मोहब्बत थी किस लिए ये एहसान सा है जो […]

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लिखूँ परिश्रम उस प्राणी का,करें सदा शुभ काम हैं। पहने नही वदन पर कपङे,मजबूरी का नाम हैं।। एक गरीब का लङका देखो,धूप में निशदिन जलता हैं। कांटो वाली पगडंडी से,सत्य मार्ग पर चलता है।। मीठे बोल सभी सें बोले,बोले सुबहो शाम हैं।। पहने नही वदन पर कपङे,मजबूरी का नाम हैं।।1।। […]

कॉलेज में कदम रखते ही बिटिया,लगी कि बड़ी हो गई। इस जमाने में वैसे भी बच्ची जल्दी ही समझदार हो जाती है। एक समय था जब संस्कार,शिक्षा,नैतिकता,रिश्तेदारी का सबक परिवार में रोजमर्रा,सहज ही मिल जाता था। अब सबकी कक्षाएं लगती हैl डिप्लोमा-डिग्री से नवाजते हैं। शर्मा जी की बिटिया,अब आधुनिक […]

मुझे मत मिटाओ, मैं तुम्हारी कोख की नन्हीं कली हूं। उत्थान को तुम देखती, करके खुद का ही पतन कैसे रहती थाती तुम्हारी, गर नानी करती यही जतन जो जीवन मिला है तुमको, वो भी किसी का दान था सोचो जरा तुम सोचकर, किसे मारने चली हूं। ठानी है मारने […]

जब प्रलयकंर स्थितियां हों, और चुनौती भेज रही हो टकराने को तीरों से जब नियति ढाल-सी बनी खड़ी हो, दिग्भ्रमित कराने को तुमको झंझावात खड़ा बद्ध हो नैसर्गिक हो अथवा न हो ऐसे में यदि मध्य हो,                            […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।