पहली बार लगा कि पापा बूढ़े होने लगे हैं हौसले तो बुलन्द हैं कदम लड़खड़ाने लगे हैं अब चलते चलते वो थकने लगे हैं । पापा बूढ़े ……….. जिन कन्धों पर बैठ कर घूमी रात दिन मै आज वो कन्धे खुद सहारा ढूँढने लगे हैं । पापा बूढ़े ……. आंखों […]

कहती शाम करो आराम , दिन भर करते  काम ही काम । अब चलो तुम अपने धाम , जहाँ तुम्हारा प्यारा नाम । बहन बेटी दुआ मनाती प्रिया प्रेम की करती छाँव । अनुज श्याम कहे बलराम मातु पिता के तुम हो राम । राह निहारे सभी तुम्हारी अब चलो […]

आंधियां नफरतों  की कुछ ऐसी चलने लगीं फिज़ा मेरे शहर की वो देखो बदलने लगी हर जगह कत्लेआम है हर  गली सन्नाटा हुआ लोगो की खुशियों को ममता नफरतें निगलने लगीं आंधियां नफरतो …….. हर आदमी सहमा यहाँ एक दूसरे से डर रहा दोस्ती के रिश्तों में भी नफरते घुलने […]

सर सर बहती हवा कह रही मत काटो मनुज पँख हमारे , स्वस्थ साँस का स्रोत यही हैं समझो सच जीवन का प्यारे । नहीं रहेंगे विपिन अगर तो कैसे बदरा मोहित होंगे , बरखा रानी के दर्शन को तरस रहे भू अंबर होंगे । तेज ताप का होगा नर्तन […]

बहर:- 122 122 122 122 रद़ीफ:- की। काफ़िया:- न। सुनाओ उसी को सुने बात मन की। दिखाओ जहाँ में रहे आस धन की।। खिलौना बना हैं मुसाफिर यहा का। न ठहरो वहा पर हिफाजत न तन की।। हरी डाल तोङे उसी को सजा दो। मिले नेक छाया जहाँ छाँव वन […]

मेरे विकलांग होने से घर और दादी कभी अकेले नहीं होते मेरे विकलांग होने से मां समझ गई है फर्क सपने और हकीकत का मेरे विकलांग होने से पिता के दांये हाथ की जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं मेरे विकलांग होने से भाई ने पाया है एक अनोखा आत्मविश्वास अकेले […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।