जितना हमने है देखा, और अबतक समझ हम पाये। संसार के इस चक्कर ने, हम सबको बहुत रुलाया। हो हो हो ………………।। लोगो की भावनाओं से इन सब ने अबतक खेला। कभी धर्म जाती के नाम पर, उन्हें आपस में लड़वाया। और अपना उल्लू सीधा, इन मकरो ने किया। अब […]

न हम बदले न वो बदले, फिर क्यों बदल रहे इंसान। कल तक जो अपने थे, सब की आंखों में बसते थे। पर अब तो वो सिर्फ, सपनो जैसे देखते है। न हम न वो आये जाएं, अब एक दूसरे के पास।। न हम बदले न वो बदले, फिर क्यों […]

तुम्हे दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। गुरु चरणों में शीश झुका के तो देखो। तुम्हे दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। प्रभु चरणों में सीस झुका के तो देखो। तुम्हे दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। णमोकार मंत्र को जपके तो देखो। तुम्हारे पाप कर्म धूल जायेंगे सारे। ये सब अपने जीवन […]

मोहब्बत ऐसी थी की, उनको बता न सके। चोट दिल पे थी, इसलिए दिखा न सके। हम चाहते तो नहीं थे, उनसे दूर होना। मगर दूरी इतनी थी, की हम मिटा न सके।। ये बेवफा साँस लेने से, तेरी याद आती है। ये बेवफा साँस न लू , तो भी […]

स्वंय के काम करके, बनो स्वाभी लम्बी तुम। तभी जिंदगी महकेगी, स्वंय के किये कार्यो से। जो तुमने किये है कार्य, वो सारी दुनियां देखेगी। उन्ही कामो से तुम्हें, मरणउपरांत याद किये जाओगे।। ये ऐसा युग है लोगो, जहाँ कोई किसीका नही। सभी अपने स्वार्थी में, सदा लिप्त रहते है। […]

हाँ मोहब्बत है मुझे, अपनी तन्हाईयों से। जो तुम्हारे करीब, ले आती है। और प्यार के सागर में, डूबा देती है। जहाँ हम अपने को, जन्नत में पाते है।। हाँ मोहब्बत है मुझे, उन ख्वाबो से। जो रोज नींद में, तुम दिखाते हो। और अपने पास, हमें बुलाते हो। और […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।