*मुगल दरबार* राणा हर संदेश को, लौटाते हर बार। आन बान मेवाड़ क्यों,झुके मुगल दरबार। झुके मुगल दरबार,मान तज बन दरबारी। पा मनसब जागीर, चली रिश्तों की बारी। शर्मा बाबू लाल, झुके नहीं वे महाराणा। एकलिंग दीवान, वही मेवाड़ी राणा। *राम दरबार* सीता रामानुज सभी, सजे राम दरबार। हनुमत बैठे […]