सिर के पीछे पड़ी हलकी-सी चपत से ही इस युद्ध का शंखनाद हो चुका थाl तकियों को अस्त्र-शस्त्र की तरह इस्तेमाल करने के बाद बात मल्लयुद्ध तक आ पहुंची थी। `आज तो तेरी ईंट-से-ईंट बजा दूंगाl` विकास उसकी आँखों में देखकर गुर्राया। मैं भी पापा आज आपको नहीं छोडूंगी।` पलंग […]

अभी छह महीने पहले ही आत्मविश्वास से लबरेज़ मिठाई की दुकान वाले लालाजी की जुबान पर एक ही बात चढ़ी रहती थीl अपने घनिष्ट मित्रों से वो कहते नहीं थकते थे कि-`अपनी छोरी को प्राइवेट से बी.ए. पास हुई गयो हैl अब ई के हाथ पीलो करी देनो हैl एक […]

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पंद्रह साल पुरानी बात है,वैष्णो देवी माता के दर्शन की मन में आस लिए भोपाल स्टेशन से मालवा एक्सप्रेस से हम पति-पत्नी और अपनी एक अदद बच्ची को साथ लिए पूरे श्रद्धा भाव से जम्मू के लिए निकल पड़े थे। जम्मू से कटरा जा रही बस में अधिकतर भक्तगण ही […]

अपनी सुख,सुविधा और आराम के प्रति हर व्यक्ति सचेत होता है,परंतु बात जब ट्रेन से सफ़र की होती है तो ये माध्यम `हाई अलर्ट` पर आ जाता है। सबसे पहली चिंता होती है कि,हम समय पर स्टेशन पहुँच जाए,यातायात में फँस जाने पर एक खीझ आती है,फिर हमारा डिब्बा किस जगह […]

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आज सुबह-सवेरे शीतला सप्तमी पर रंजन जी बिना चाय पिए ही श्रीमती जी को लेकर मंदिर पहुँच चुके थे।गुजरी रात को ही स्पष्ट निर्देश मिल चुके थे कि,गैस मत जलाना। महिलाऐं बासोरे और पूजन सामग्री की थाली लिए कतार में थीं और उनके पतिदेव मोबाइल पर बतियाते हुए आसपास ही […]

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पिछले चार दशक से इंग्लैंड में बसे हुए भूपेंद्र मामाजी जो मूलतः बनारस के हैं,हर नाते-रिश्तेदार की शादियों में शरीक हुए हैं। हर रस्मों-रिवाज़ों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है और वर- वधू को पांच-छह सौ पौंड का चेक देकर गए हैं जो रुपए में बदलकर नवीन जोड़ी के लिए एक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।