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क़त्ल करता है मुस्कुराहट का, उफ़्फ़ क़यामत है दर्द का झटका। सब गुज़रते हैं मेरे  सीने से, मैं हूँ इक पायदान चौखट का। बादलों से बचा लिया मैंने, चाँद लेकिन शजर में जा अटका। एक मुद्दत हुई ये दरवाज़ा, मुन्तिज़र है तुम्हारी आहट का। मैं जो दीदार को तड़पता हूँ, […]

मैं तेरा जीवन बन जाऊं तू मेरा जीवन बन जा, मैं तेरा साधक बन जाऊं तू मेरा साधन बन जा। साँझ-सबेरे हर महफ़िल में,करता रहूँ तेरे चर्चे, मैं तेरा वाचक बन जाऊं तू मेरा वाचन बन जा। तुझसे ही मेरी कविता है,तुझसे ही मेरे नगमे, मैं तेरा गायक बन जाऊं,तू […]

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बाद मरने के उनको खबर लग गई,कब्र पे आ के आंसू बहाने लगे, आए हैं अब मेरे दरवाजे पे,छोड़कर जब जहां हम ये जाने लगे। वादे तो ना निभाए थे पहले कभी,आज रस्में सभी वो निभाने लगे, जीते जी जो कभी ना हमारे हुए,आज काँधे पे हमको उठाने लगे। कहने […]

नया ख्वाब फिर से सजाने लगा है, परिंदा-ए-दिल फड़फड़ाने लगा है। निभाया नहीं जिसने,वादा पुराना, वो किस्से नए फिर सुनाने लगा है। गुजारा था हमने,जो संग में तुम्हारे वो मंजर हमें याद आने लगा है। साकी हमारा,जो बीरां हुआ था, नए जाम फिर से पिलाने लगा है। नहीं साथ में […]

कब से हूँ सोच रहा,उसको मनाने के लिए, कुछ नया और बता,उसको बुलाने के लिए। यूँ बेसबब सोने लगी,साहिब ये किस्मत मेरी, मैं दर-बदर फिरता रहा,उसको जगाने के लिए। बोझ-सी लगने लगी,ज़िन्दगी मेरी मुझको, सबमें एक मैं ही दिखा,उसको सताने के लिए। उससे शर्त ये थी लगी,कौन पहले भूलेगा, खुद […]

बुझने को थी मगर शमा,हंसकर जला गया कोई, हमपे तीर-ए-नज़र नया,हंसकर चला गया कोई। अंधेरों में डूबा हुआ,वीरान-सा था दिल मेरा, दिल मे चिंगारी नई,हंसकर लगा गया कोई। उसके लबों को छूने की,हसरत-सी दिल में थी मगर, ये प्यास मेरे लबों की थी,हंसकर बुझा गया कोई। किसी को देख लें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।