ना जाने …. क्या सोच…. मै उठा लेती हूं … कोई भी किताब बस…. यही देखने.. कि..शायद बनी हो… ऐसी भी कोई किताब.. जिसमें हो… नारी के….. सुख दुख का हिसाब… फिर..दुबारा.. इसी आशा के साथ…. खोजती नई किताब.. कि ये होगी वो किताब.. जिसमे होगा….. नारी की पीड़ा और […]

गीतों में दर्द जो गा गये तुम रुहानी अहसास जगा गये तुम तड़प थी एक अदद प्रेम की मिटा खुद ,दुनिया सिखा गये तुम छिपे गये हो श्यामल घन बीच सबाल बन तुम अब खड़े हुये खोजूँ कहाँ वो उत्तर अब मैं अनुत्तरित बन तुम अड़े हुये। कुछ सवाल कभी […]

प्रेम ..? बादल बिजली सा ..? ना, नही है मेरा प्रेम ऐसा .। क्षणिक.. समय आधारित । मेरा प्रेम . चातक चकोर  सा ? न ,न, ..अपेक्षा है रात पर तरसता है रोता है .. न ,ऐसा नहीं है प्रेम मेरा .. मेरा प्रेम चंदन पानी .. ना,ये भी ना […]

गिरकर उठना,उठकर चलना, यह काम है संसार का। कर्मवीर को फर्क न पड़ता, कभी जीत और हार का॥ जो भी होता है घटनाक्रम, रचता स्वयं विधाता है। आज लगे जो दंड वही, पुरस्कार बन जाता हैं॥ निश्चित होगा प्रबल समर्थन, अपने सत्य विचार का। कर्मवीर को फर्क न पड़ता, कभी […]

  कहीं सुख है कहीं दुःख है, इसी का नाम दुनिया है। नहीं कुछ भी बिना, कठिनाइयों के जो मिले जग में। किसी भी और जाओ, आएंगें दुःख कष्ट तो मग में। कभी आशा चमकती है, निराशा का कभी तम है। वहीं नर वीर हैं जो दशाओं, में सदा सम […]

दहेज के लोभियों को कोई कहाँ तक है रोके, क्योंकि जिन्होंने नियम बनाए सबसे पहले वो ही इन्हें तोड़े। दहेज को वे दहेज नहीं शिष्टाचार हैं समझते, कहते बिना कुछ दिए बेटी को विदा नहीं करते। कई तरह के बहाने इनके पास होते हैं, लेन-देन करने के तरीके इनके कुछ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।