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आरती पत्नी प्यारी की-सास की राजदुलारी की, मायके में फिरती इतराती-मियां को नखरे दिखलाती.. इठ्लाती और लहराती, चले तनके-माधुरी बनके, तीखी तेज़ कटारी की-सास की राजदुलारी की। ना माने बात पति की है,लगे ये बिना मति की, हमारी दुर्गति की है, करूं में क्या-दवा तो बता.. इस सरदर्द बीमारी की-सास […]

आँगन में चिड़िया को देख मुझको बचपन याद आया, बचपन में माँ-बाबा कहते थे,मुझको गौरेया। माँ कहती थी चिड़िया जैसी दिनभर उड़ती फिरती है, बाबा कहते देखो कैसी चिड़िया जैसी चुगती है। न जाने कब उड़ जाएगी गौरेया जैसी है बिटिया, खूब प्यार से रखते,मैं तो समझ न पाती उनकी […]

‘विश्व कविता दिवस २१ मार्च पर विशेष’ कुछ कविताओं के कोने लदे होते हैं दर्द के सलीबों से, कुछ कविताएँ भरी होती हैं भाग्य के नसीबों से। कुछ कविताएं अव्यक्त-सा भाव देकर शांत हो जाती हैं, कुछ कविताएं सबकुछ व्यक्त कर अन्तर्मन में उतर जाती हैं। कुछ कविताएं शोरगुल के […]

    भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में अभी तक २२ भाषाओं को शामिल किया गया है | इस सूची में ३५ और भाषाओं को शामिल करने का प्रस्ताव  है |भोजपुरी, अवधी,राजस्थानी,ब्रजभाषा,हरियाणवी,छतीसगढ़ी आदि लोकभाषाएँ प्रतीक्षा सूची में हैं | अभी तक हिन्दी को ही उसका संविधान प्रदत्त अधिकार नहीं मिला और आठवीं अनुसूची में उपभाषाओं-बोलियों को […]

माँ तेरे आँचल में छुपकर, जब भी समय बिताया है.. मैंने खुद को स्वर्ग-सिंधु की, अविरलता में पाया है ममता रुपी चादर से जब भी, खुद को ढँक लेता हूँ.. भूल स्वयं के संवेदन को, लगता विश्व विजेता हूँ। तेरी श्वेत सुखद पग रज से, खुद का भाल सजाया है.. […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।