नाक़ाबिल तो हम न थे मग़र, क़ाबिलियत पर सवाल उठता रहा। लेकर इम्तेहान जमाना कड़े, हर दम हमें आजमाता रहा। चिंगारियाँ थीं हसरतों की कुछ दिल में, चिंगारियों से उजाला मैं पाता रहा। बुने हैं कुछ सपने जिनके वास्ते, उन्हीं से मैं गुलशन सजाता रहा। खोकर मैं तन्हाईयाँ अपनी उनके […]

वो गुजरा हुआ कल,वह ज़माना नहीं रहा। वो पहले वाला बचपन, वह याराना नहीं रहा॥ जिनमे थे,गुड्डे गुड़ियों के खेल। प्यारी दादी का,अब वह तराना नहीं रहा॥ खेले थे जिनमें,बचपन के सब खेल। वह बाग़ वे मैदान,वह ठिकाना नहीं रहा॥ देखा करते थे घंटों,ढलते सूरज को नदी का अब वह,किनारा […]

वो जीना भी तो क्या जीना, ये धरती की हरियाली छीनी । कुछ करना होगा, इंसानियत के लिए मरना होगा। मर चुकी इंसानियत की आशा, टूट रही है अभिलाषा। अब हम सबको कुछ करना होगा॥ सूखी हुई जो पड़ी है धरती, इसपर हमें बरसना होगा। अब मौसम हमें बदलना होगा॥ […]

जमीं हमारी देश हमारा, भूल हुई जो दिया सहारा। आए थे सौदागर बनकर, छुपे हुए हमलावर दल। कर बैठे सौदे उस ईमान के, लाल हम जिस देश महान के। होकर परतन्त्र ग़ुलाम हुए तब, सदियाँ बीतीं आजादी पाने में। आज़ाद हुए जाकर हम तब, आए फिरंगी फिर भेष बदल कर। […]

न रस है,न छंद हैं,न ही अलंकार हैं। कुछ शब्द ही हैं,जो जीवन का सार हैं॥ न दोहा,न चौपाई,न ही कोई छंद हैं। कुछ मुक्तक हैं,वह भी बस तुकबंद हैं॥ जीवन की सच्चाई,को लिख देता हूँ। जो भी मन में आए,बस कह देता हूँ॥ मुझे समझ नहीं,क्या होती व्याकरण है। […]

उदगम् स्थल में,अति सूक्ष्म- सी, कल कल मस्ती में,शैशव-सी जिंदगी नदी-सी। मुश्किलों से भिड़ जाती बाधाओं, पर्वतों से टकराती- सी, जिंदगी नदी-सी। जहाँ से जाती बालू सिमटाती सब प्रेम भरे रिश्तों नातों-सी, जिंदगी नदी-सी। मैदानों में शांत चित्त-सी, प्रपातों में उग्र व्यग्र-सी.. जिंदगी नदी-सी। सभ्यताओं के संग बहती-सी, लेकर सब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।