बरस जाओ बादलों बिन काले मेघो के। बरस जाओ बादलों बिन सावन के। भीग जाए मेरा तन-मन बिन प्यार की बूँदों के। नाचूँ मैं मगन हो के बिन बालम के। अब तो न तरसाओ बादलों, आ जाओ मेरे बालम बन के। मेरा हाथ थामने के लिए वो तो ना आए, […]

अबके युग में घर बनवाना सबके बस की बात नहीं, महंगाई में दीए जलाना सबके बस की बात नहीं। गिट्टी-मोरम सरिया आदि सब बाबा के मोल हुए– अपने घर पर छत लगवाना सबके बस की बात नहीं॥                           […]

याद बहुत बचपन के वो दिन आते हैं, आज नहीं क्यों हम वैसे दिन पाते हैं। रजवाहे में डुबकी लगाना भूल गए, जल्दी में ही अब हर रोज़ नहाते हैं। बैठ जमीं पर तख़्ती लिखते थे पहले, चैन नहीं अब कुर्सी पर भी पाते हैं। गुल्ली-डंडा,दौड़ लगाना सब भूले, याद […]

जमीं हमारी देश हमारा, भूल हुई जो दिया सहारा। आए थे सौदागर बनकर, छुपे हुए हमलावर दल। कर बैठे सौदे उस ईमान के, लाल हम जिस देश महान के। होकर परतन्त्र ग़ुलाम हुए तब, सदियाँ बीतीं आजादी पाने में। आज़ाद हुए जाकर हम तब, आए फिरंगी फिर भेष बदल कर। […]

सही बात का समर्थन, गलत का विरोध करना, सत्ता में कोई आए, पहले हो देश अपना। लूटे मुल्क को खुद भी, करे भ्रष्टों का समर्थन, ऐसे सियासतदां का,है पुरजोर विरोध करना॥                                       […]

जब से मानव जाति बनी, हम वृक्षों को देते सम्मान। तुलसी,नीम सरिस माता के, वट,पीपल होते  भगवान॥ देवों को लगते अति प्यारे, चंदन,आम,धतूर,मदार । गुड़हल,कमल मातु को भावे, सोहे बैजन्ती उर  हार॥ बेघर, राही, भूले  रहते, वृक्ष तले आवास  बनाय। अब तो जागो मीत हमारे, ‘अवध’ सभी को रहा जगाय […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।