परिदृश्य परिवर्तित हो गया इसका, जिसकी अठखेलियों का सम्मोहन कभी सूर्य की किरणों को अल्पकालीन निद्रा में डुबा देता था। जिसके आगमन पर चंद्र भी बादलों का आवरण हटा देता था, जिसका एहसास मात्र दोहरे शुष्क नयनों को नम कर देता था.. जिसका अवलोकन मात्र ही ह्रदय आघात को कम कर देता […]
विशाल भावना लिए,करे समृद्ध मंच को, विशुद्ध छंद काव्य से,प्रमाण दे प्रपंच को। विराट रम्य वैभवी,नमो नमो विशारदे, विराज मात शारदे,मनोज्ञ भान तारदे॥ नमो नमामि भारती,सरस्वती प्रभा झरी, सुरीति नीति प्रीति लै,सुहंसवाहिनी ठरी हे ! चंद्रकांत शारदा,सुमंगली ब्रह्मेश्वरी, सुबुद्धि,ज्ञान दान दे,अनंत दिव्यता धरी॥ […]