जूझा,लड़ा,चीखा-पुकारा था माँ, यूँ ही नहीं मौत से हारा था माँ। किस कसूर की मिली सजा मुझको, समझ न तब कुछ आया था माँ॥ रोया मैं, तो डांट रहा था, बकरी-सा वो मुझे काट रहा था। इस दानव से कोई छुड़ा लो मुझको, पापा-मम्मी बचा लो मुझको॥ तन थर्र-थर्र मेरा […]

वर्तमान समय में सिर्फ एक ही चीज पर लोग ज्यादा ध्यान केन्द्रित करते हैं और वो है दिखावा। एक मध्यम परिवार का बच्चा अपने माता-पिता से आए दिन नई -नई चीजें हमेशा मांगता रहता है,और पिता अपने पुत्र की हर फरमाईश को अभी तक पूरा करता आ रहे थे। एक […]

बेवजह गुस्सा,चिड़चिड़ापन, अच्छी बात नहीं। बेमौत न कर मेरे नाम कफ़न अच्छी बात नहीं॥ ————————————- यहाँ-वहाँ,इधर-उधर मत दिखा अपनी अदा। मेरे दिल को न कर परेशान अच्छी बात नहीं॥ ————————————- बारिश भी वहीं है,जहाँ तुमने साथ छोड़ा था। बिन मौसम के बरसे सावन अच्छी बात नहीं॥ ————————————- तू मुस्कुराए तो […]

गज वदन नमन कर सहचर चल गमन कर, करतल दल रखकर चरण गह नमन कर। भगत अब सब जन मत भटक इधर उधर, भजन कर नमन कर सफल जग जनम कर। समझ-समझ धर पग गलत मत कदम रख, अटक-अटक मत चल मन  समझकर चल। अब सर नत कर चल एक […]

जब भगवान देता है छप्पर फाड़कर देता है,शायद यह कहावत अब दोस्तों के लिए हो गई है। `फेसबुक` वह छप्पर है,जिसे फाड़कर दोस्त टपकते हैं। ७० और ८० के दशक में अंकल-आंटी टपकते थे,वे आज भी टपक रहे हैं। दादा की उम्र का हो,या बिटिया की उम्र की लड़की,अंकल-आंटी के […]

#प्रो. विनोद कुमार मिश्र वर्धा | महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में `हिंदी दिवस` समारोह में विश्‍व हिंदी सचिवालय(मॉरिशस) के महासचिव प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि,हिंदी विश्‍व मन की भाषा बन चुकी है। हिंदी के विकास में सभी भारतीय भाषाओं ने महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। हिंदी को सोशल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।