दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं,कुछ ऐसे कि,जिनके सान्निध्य में भटका हुआ भी पथ पा जाए,कुछ ऐसे कि मंजिल तक पहुँचकर भी इंसान पथ भूल जाए। हमें ऐसे लोगों की पहचान अवश्य करनी चाहिए। मुझे याद आता है-जब मैं पहले ही दिन विश्वविद्यालय गई थी,मैं काफी डरी हुई […]

दुखी कोई न रहे, ऐसी रखिए कामनाl नहीं होगा तुम्हारा, विपत्तियों से सामनाl परहित चाहने वाले, सदा फायदे में रहतेl कष्ट कभी न हो उन्हें, सदा सुखी वे रहतेl मन भी उनका सदा प्रफुल्लित रहता, गैरों को गले लगाकर आत्मसुख वह पाताl दुर्गुण उनके पास न आएं, परमात्म ज्ञान वह […]

आँखों में ठहरी ये कैसी नमी है, कोई खुशी है या मातम-गमी हैl ये शाम भी है क्यों उदास-सी, हवा भी आज क्यों अनमनी हैl तुमसे मिल के क्यूं आंख भर आई, तुम साथ हो,फिर भी ये कैसी कमी हैl तुमने कभी दिल से चाहा भी था हमें, ये सच […]

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‘यार मैं कोमल के बिना ज़िंदा नहीं रह सकता।’ रमण ने बड़ी ही मासूमियत के साथ कहा। ‘क्यूँ?’ मैंने अनायास ही पूछ लिया। ‘तुम नहीं जानते मैं कोमल से कितना प्यार करता हूँ। सच्चा प्यार। बहुत ज़्यादा चाहता हूँ मैं उसे। अपनी जान से भी ज़्यादा।’ ‘अच्छा।’ ‘हाँ यार ! […]

ये पीड़ा वो पीड़ा, जाने कितनी पीड़ाओं में व्यक्तित्व दबा है। देह पीड़ा में रोगों की छाया से, शरीर कुंद हुआ। मन पीड़ा में ह्रदयाघात हुआ, अंर्तमन अंत:पीड़ा में अवचेतन शून्य हुआ, समाजिक पीड़ा में मानंसिक कुठा पैदा हुई, सबके-सब पीड़ा में हैं। और ये मिलती कहाँ से खुद मुझसे, […]

चाँद-सा चेहरा तेरा, दिल खिला-खिला तेरा मोर की मोरनी तू, फूल की कली तू। रात अंधेरा नहीं था, दिन उजाला नहीं था सूरज डूबा नहीं था, चाँद उगा नहीं था। पेड़-पौधे खिलखिलाते रहे, कलियां मुस्कुराती रही चिड़िया चहचहाती रही, भँवरे मुस्कुराते रहे। नेता नेतागिरी करते रहे, अभिनेता अभिनय करते रहे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।