मानव मानव सब एक समान न कोई छोटा न कोई बडा क्यों मैं ऊँचा क्यों वह नीचा क्यों मैं खास क्यों वह आम हम सब है प्रभु की सन्तान तब क्यों करते हम अभिमान विद्वान् हो तो झुकना सीखो धनवान हो तो नम्रता सीखो क्रोध का कर दो अवसान ईर्ष्या-द्वेष […]

ज़रा शर्म करो ओ हैवानों, ना इतने बड़े तुम पाप करो। दौलत के मद में अंधे होकर, ना मानवता का विनाश करो। आफत के इस अवसर में, स्वार्थ ना अपना सिद्ध करो। होकर लालच के वशीभूत, तुम ना खंजर से वार करो। मोल भाव कर डाला तूने, ना जाने कितनी […]

ये कैसे जमाना आया है,ये दुनिया कहां जा रही है। जैसे किए हैं कर्म इसने,वैसे ही ये फल पा रही हैं।। पेड़ काट काट कर दुनिया,प्रकृति का दोहन कर रही है। आज मुर्दे को जलाने के लिए लकड़ी भी न मिल रही हैं। ये कैसे संस्कार है दुनिया के अपनी […]

भारतवर्ष सदैव से एक अलौकिक राष्ट्र रहा, जहां अपने महापुरुषों का स्मरण करने की परंपरा रही है। अनेक सन्तों, वैज्ञानिक, क्रांतिकारियों की जन्मभूमि होने के कारण भारत विश्व मे आध्यात्म का केंद्र ही नही रहा अपितु अपनी भूमिका को भारत ने विश्वगुरु बनकर सदैव निभाया भी है। आज से लगभग […]

इंसान की गलतियों का फल भोग रहे हम। यही दुर्भाग्य हमारा यही दुर्भाग्य हमारा।। विश्वगुरु बनने के चक्कर में दो देश में छिड़ गई जंग। बाकी पीछे पीछे हो लिए देकर अपना समर्थन। सबके लिए मिला है अब ये प्रसाद बराबर।। यही दुर्भाग्य हमारा यही दुर्भाग्य हमारा। इंसान की गलतियों […]

ज़माने की हवा बदल रही हर दिन, कहाँ चले गये अब वो बहार के दिन, ख़त्म हो चला इंसानियत का दौर , हर तरफ़ आँसू दर्द शोर ईद के दिन । चाँद , सूरज, हवा सब ग़मगीन है, कौन खुश है इस बार ईद के दिन । हर तरफ़ है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।