किसी शांत नदी सी तुम, मजबूती से संभालता किनारा सा मैं, कभी इठलाती सी, किनारे के कांधों पर सिर रखती तुम, और सहलाता मैं, कभी उद्वेलित हो, मर्यादा लांघती तुम, और निराशा से हताश देखता मैं, कभी सिरहाने तो कभी सूखती सी बहती तुम, आसमां में बारिश की टकटकी लगाता […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
आओ गणतंत्र दिवस मनाएँ, नाचें, गायें, मदमस्त हो जाएँ। स्वतंत्रता का जश्न मनाएँ, ख़ुद को स्वच्छन्द नहीं, स्वतंत्र बताएँ। भगतसिंह, सुखदेव, सद्गुरू की, निःस्वार्थ बलिदानी को याद करें। बापू, नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस की, कुर्बानी को हम याद करें। वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता का, हम सच्चे मन से स्मरण […]