पावन धरती मात को,है वंदन बारंबार। गौरव की गाथा लिखी,गूँजे जय जयकार।।१ धरती माँ के गोद से,निकली सीता मात। तेरी कथा अटूट है,दिन चाहे हो रात।।२ हरियाली साड़ी पहन,धरती गाती गीत। नदियाँ झरनें कूप को,यही दिलाती जीत।।३ ममता का सागर भरा,कभी न करती क्रोध। गलती जो इसका करे,लेती नहीं विरोध।।४ […]
