मुझसे हुई आखिर क्या? बात है, तुझसे कभी ना हुई मुलाकात है। अब तो तेरा दीदार पाने को, ये जीवन जैसे वनवास है।। अधूरा चांद, अधूरी रातें, अधूरी यादें, अधूरी तेरी मेरी हर बात है। तुम मुझसे दूर हुई इस कदर, तुम समझी ना कभी मेरा जज़्बात है। तू सिर्फ […]

इस बार लौटना तो संपूर्ण होकर , बहती धाराओं के साथ लौटना । क्योंकि किसी का लौट आना समय की कैद से लौटना होता है, क्योंकि प्रेम की तीसरी आँख की तरह मृत्युजंय होता है किसी का लौट आना किसी का लौट आना इंतजार करने से ज़्यादा घातक हो जाता […]

नकारात्मकता मन से निकालो सकारात्मकता मन मे बसा लो परिवर्तित जीवन हो जायेगा सबकुछ अच्छा हो जाएगा नकारात्मकता जीवन पर भारी तनाव करता हम पर सवारी बीमारियो को निमन्त्रण देता शांति मन की हर लेता सारी सकारात्मक सोच अच्छा बनाती जीवन मे खुशिया ले आती कोई पराया न रहे इस […]

हिन्दू को न हिन्दू कहना, मुस्लिम को न मुस्लिम कहना, सिक्ख को न सिक्ख कहना, ईसाई को न ईसाई कहना, अपना धर्म उससे भी बड़ा है मानव हूँ, ‘मानवता’ धर्म है। हिन्दू को न हिन्दू कहना, मुस्लिम को न मुस्लिम कहना, सिक्ख को न सिक्ख कहना, ईसाई को न ईसाई […]

केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 26 मई को चार साल पूरे कर लिए हैं. इन चार सालों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता और सरकार अपनी कामयाबी के कितने ही दावे कर लें, लेकिन हक़ीक़त यही है कि हर मोर्चे पर केंद्र सरकार नाकारा ही साबित हुई […]

  सहज, सौम्य और सरल जिनका मिजाज है, सबकुछ होते हुए भी फकीराना ठाठ, आजा़द पंछी की तरह गगन को नापना, मजाक और मस्ती की दुनिया से कविता खोजने वाले, अल्हड़ और मनमौजीपन में जिन्दादिली से जीने वाला, कविता लिखने के लिए केवल मुठ्ठी उठा कर नभ को पात्र भेजने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।