जिस द्वार पर लिखा मिले सुस्वागतम् वही हमारी कुटिया है तुम चले आना । घास- पूस से सुसज्जित है दम्भ द्वेष वहाँ वर्जित है नाजुक हैं उसकी किवाड़ी ज़रा प्रेम से धकियाना । सौंधी – सौंधी महक मिलेगी कुछ चिड़ियों की चहक मिलेगी परम शांति वहाँ हवा में कुछ शहरों […]