नागफनी के पेड़ उगे केशर की परिपाटी में, आंतकियों का रौब देखो अपनी माटी में। अमरनाथ यात्रियों पर हमला कर दिया घाटी में, छप्पन इंच का सीना क्यों मौन है घाटी में॥ कौन-सा धर्म-मजहब है आंतकवादी में, जो आग लगा रहे मेरे गुलशन की वादी में। सुख-चैन हो गए बेचैन […]