मैं छुपाती हूं,अपने भीतर प्यार, छुपाता हैं, सबूत जैसे हत्यारा, जुआरी अपना -अपना दारिद्रय, ओस अपने भीतर छुपाती है,जैसे भाप,बर्फ जैसे तरलता , सदगृहस्थनें छुपाती है,जैसे अपनी पुरानी चिट्ठियां, मछलियां अपने आँसू, समुद्र जैसे अपनी प्यास, कुत्ता जैसे भविष्य में छुपाता हैं, रोटी का एक टुकड़ा, उस तरह जिस तरह […]
कुछ ख़्वाब बुन लेना जीना आसान हो जायेगा दिल की सुनलेना मिज़ाज शादमान हो जायेगा मुद्दत लगती है दिलकश फ़साना बन जाने को हिम्मत रख वक़्त पे इश्क़ मेहरबान हो जायेगा टूटना और फिर बिखर जाना आदत है शीशे की हो मुस्तक़िल अंदाज़ ज़माना क़द्रदान हो जायेगा लर्ज़िश-ए-ख़याल में ज़र्द किस काम का है बशर जानें तो हुनर तिरा मुल्क़ निगहबान हो जायेगा मंज़िल-ए-इश्क़ में बाकीं हैं इम्तिहान और अभी ब-नामें मुहब्बत ‘राहत’ बेख़ौफ़ क़ुर्बान हो जायेगा डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 52
