गुदगुदा प्यार में कभी जाता, गुनगुना कान में कभी जाता; आके चुपके से कभी कुछ कहता, साँवरा हरकतें अजब करता। ग़ज़ब की बांसुरी सुना जाता, कभी वह नज़र भी कहाँ आता; अदद अंदाज से कभी मिलता, कभी बंदा नवाज़ बन जाता। नब्ज़ हर वक़्त देखता रहता, धड़कनें हृदय की सदा […]

कल तक उनकी किलकारी, से आंगन महका करता था। कभी पापा तो,कभी मम्मी, की गोद में बैठा करता था॥ न चीत्कार न कोई हलचल, गहरी नींद में लाल सोया था। देखकर मंजर हर किसी का आज कण-कण  रोया  था॥ रोंगटे  खड़े हो जाते हैं  मेरे, उस मंजर के बारे में […]

पिता की डांट, पिता  का प्यार। पिता की निगाहें, पिता का उपहार॥ भीतर जिनके दर्द, पीडा़ का भंडार। फूल बनकर मेरा, महकाएं संसार॥ मुश्किल में डटे रहें, पीड़ाओं में मौन। पर्वत से अडिग रहें, पिता जैसा कौन॥ पिता से ही संस्कार, पिता सृष्टि का सार। जाना जिसने पिता को, पाया […]

जब कभी मन उचटता है, तो  प्रेमचंद  याद आते हैं। कहीं हमीद-होरी बनकर तो, कहीं जुम्मन में दिख जाते हैं॥ संवेदना को शब्द देकर गोदान, कफ़न,गबन, नमक का दरोगा। दो बैलों की कथा व्यथित मन, को सामाजिक खुराक दे जाते हैं॥ कलम का सिपाही बन प्रेमचंद, समाज को आईना दिखाने […]

(राष्ट्रध्वज तिरंगे के जन्मदिन पर ) भारत माता आपका कोटिश आभार, राष्ट्र ध्वज का दिया साकार आकार। अशोक चक्र लेकर शक्ति का आधार, तीन रंगों में समाया विशेषताओं का सार॥ तिरंगा भाईचारे की बहाता है रसधार, भेदभाव से कोसों दूर इसकी पतवार। सद्भाव-एकता-प्रेम का कर श्रंगार, शत्रुओं का संहार करता […]

डगमग-डगमग करती चली, बरसात में  कागज की नाव। बचपन की याद दिलाती ये, बहती हुई  कागज की नाव॥ कौन जीतेगा , कौन हारेगा, लगाते नावों पर  ऐसे  दांव। बहती  रहती बिना पतवार, खेल-खेल में दूर करते तनाव॥ मुश्किलों में  भी डटे  रहना, सिखाती है हमें बहती नाव। जिंदगी का यही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।