सर्दी ने मचाई गुंडागर्दी, पहनकर शीतलहर की वर्दी। क्या बच्चे-बूढ़े,क्या जवान, थर-थर कांप रहे ऐसी सर्दी॥ दूध संग पीएं खारक-हल्दी, शरीर रहे बच्चों सदा हेल्थी। गरमागरम जलेबी,गराडू भी, खूब भाते आती है जब सर्दी॥ मम्मी कहे सो जा बेटा जल्दी, रजाई,कंबल है हमारे हमदर्दी। सूरज दादा भी लेट हो जाते, […]

शब्द साधना करते रहिए, नया कुछ भी रचते रहिए। सरस्वती बैठी रहे जीभ पर, ऐसी वाणी बोलते रहिए। शब्द साधक तो निमित्त मात्र है, असली रचयिता भोलेनाथ है। शिव गुणगान करते रहिए, अच्छा-अच्छा लिखते रहिए। अभिव्यक्ति से आत्म सन्तोष मिलता, बुझा व्यक्तित्व भी खिल उठता। परमात्म सेवा बस करते रहिए, […]

जो तुमको बुरा कहे, उसका स्वागत करो यार… केवल बुरा वह हुआ, मैंने तो किया प्यार… उसके मन में आई बुराई, फिर जबान गन्दी करवाई… जब मुझ पर हुआ उसका वार, अस्वीकार किया हर प्रहार… उसकी स्थिति बिगड़ती गई, मेरी हालत नहीं बदली भाई… वह क्रोध से लाल हुआ, जिसने […]

वाणी बहुत अनमोल है, सोच-समझकर बोल…l जो सबको मीठी लगे, ऐसी वाणी ही बोलl वाणी में है शक्ति अनेक, अच्छी हो तो कहलाए नेकl चूक जाएं जब वाणी के बोल, दे वातावरण में जहर-सा घोलl संयमित वाणी गुणों की खान, गैरों की भी बचाती जानl जो वाणी पर नियंत्रण कर […]

आना-जाना,कभी चले जाना, कभी रुक-रुक के देखते जाना; झाँकना और कभी चल देना, करते हो क्या कमाल तुम कान्हा। कान में कह के कभी चल देना, ‘तुम्हीं हो ब्रह्म समझ यह लेना’; लेना-देना कभी न कुछ करना, बिना माँगे ही कभी दे देना। उर में जो चाहा वह समझ लेना, […]

   संस्कृति,परंपरा,शिष्टाचार, सब गले-मिलें-बांटें प्यार। हृदय-हृदय में नेह पले, द्वार-द्वार एकात्म के दीप जले॥    छट जाएं तिमिर गहरे,    घर-घर वेद-पुराण पढ़ें।    स्वार्थ,लोभ,ईर्ष्या,द्वेष,    फैले हुए क्लेश को हरे॥ आदि शंकराचार्य के मार्ग पर चलें, एकात्म की पावन धारा बहे। छोड़ अहम,वैचारिक स्तर को, एकात्म भाव ले,सब गले […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।