राजस्थान के पादप से एक कली खिली थी पदमावती,                                                                              सूरत के साथ […]

`साहब` किसी भी प्रजाति का हो,साहब ही होता है। साहब की कई प्रजातियां होती हैं। साहब को साहब मानने का एक ही आधार है। साहब का एक पी.ए.(निज सहायक) हो। बिना पी.ए. साहब नहीं होता,और साहब के बिना पी.ए. नहीं हो सकटा है। इसमें एक फजीहत है। जिस तरह अस्पतालों […]

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कि एक अजीब रिश्ता है वो, जो कभी जुड़ता नहीं,न मिटता है। यूं तो वो दोनों एक ही है, पर कोई सच तो उनकी आंखों में छिपता है। हां माना कि,हुस्न की शहजादी नहीं है वो, पर उसके चेहरे से महबूब के लिए बेतहाशा नूर झलकता हैै। हां माना कि,दिल […]

मुझे ऐसा राज्य नहीं चाहिए जहाँ सदैव परीक्षा सीता दे, क्या लक्ष्मण का कर्तव्य नहीं जो, जो लौट के वन से हाथों में गीता ले। माना राम का राजधर्म था सत्य संहिता लिखने का, पर बेचारी उर्मिला का दोष कहाँ बिन कारण वनवास भोगने का। धर्मनिष्ठ की सदा ऋचाएँ हमने […]

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पंद्रह सौ लगाकर,मेहनत कर कितना कमा पाता है, यह देश का किसान है नूतन कितना बचा पाता है ? फ़सल के लिए कर्ज लेकर ब्याज भी नहीं चुका पाता है,                                          […]

बेटे का सम्मान जगत में,बेटी का सम्मान नहीं, दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं….। बेटा क्या लेकर के आया,बेटी क्या लाई नहीं, बहिना के बिना सूनी-सूनी,हर भाई की कलाई है। ऱक्षाबंधन-भाई दूज,कैसे तुम सब भूल गए, दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं॥ बेटे का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।