हम मंदिरों में जा-जाकर देवता पूजते रहे। गली के मोड़ पर खड़ा आदमी काम आया मुझे। चलो हम अब दीदार को चलते हैं उनके। शाम को दिया वो रखने मड़िया पर आएंगे। उन पौधों के फूल सजे हैं आपके जूड़े में। ये पौधे कुछ वर्षों पहले हमने ही तो रोपे […]

सुनो प्रिये! मैंने अपने पूरे होश में तुम्हारे नाम वसीयत में लिख दिया, सम्पूर्ण प्रेम.. सोचता हूँ तुम्हारा संवेदनशून्य मलिन-भावनाविहीन ह्रदय नहीं महसूस पाएगा उस वसीयत की अहमियत और तुम्हारे जीवन की उलझी शाम में खुरदरे हुए हाथों के स्पर्श से मेरी देह नहीं ले पाएगी सुख स्पंदन का ही, […]

वो 31 जनवरी की रात याद है न! तेरी मेरी पहली मुलाकात.. मेरा तुझमें खोना, तेरा चुपके से शर्माना तुम्हारे लंबे बालों में गुम होने की तमन्ना, याद है न। वो तीन दिन बाद मेरा तेरा घूमने जाना, कोसी की लहरों के बीच से निकलकर ठंडी हवाओं में तेरा मुझे […]

हार कर रुक जाना कभी सीखा नहीं, संभलकर गिर जाना कभी सीखा नहीं। यूँ तो रूकावटें मेरी राहों में थी बहुत, टूटकर बिखर जाना कभी सीखा नहीं। कांच-सी फितरत मेरी,टूटकर बिखर जाता हूँ मैं, आयना हूँ,टूटकर भी चेहरा दिखाना भूला नहीं। लेकर भरोसा गैर का राहों में,कभी बढ़ता नहीं, मील […]

  आ गए हैं मेघ काले, छा गए हैं मेघ काले गड़गड़ाते,थरथराते, भा गए हैं मेघ काले।l   नाचने तरुवर लगे हैं, इस हवा को पर लगे हैं देख कर नादान पंछी, लौटने अब घर लगे हैं।   रोशनी अब खो गई है, रात काली हो गई है छुप गया […]

सुबह के सूरज से, आँख मिलाकर की बातें दोपहर के सूरज से नहीं कर सकते बातें, सबने उसे सिर चढ़ा रखाl अभिमानी इंसान दिया भी दिखा नहीं सकते, क्योंकि,सूरज ने उनकी परछाई का कद कर रखा है छोटाl हर रोज की तरह, होती विदाई सूरज की सूर्यास्त होता ये भ्रम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।