—डॉ विवेकी रॉय जी आप आज भी याद आते हो… साल 2016, नवंबर की 22 तारीख और उत्तरप्रदेश की पुण्यभूमि वाराणसी की गोद में 93 वर्षीय ललित निबंध की आत्मा ने चिर विदाई ले ली थी। हाँ नवंबर की ही 19 तारीख पर साल 1924 को उत्तर प्रदेश के बलिया […]

माँ  तू नहीं होगी तो मेरा  न जाने क्या होगा, मेरे सफर की मंजिल तो होगी पर रास्ते का क्या होगा. आजमाएगी फिर  दुनिया हम दोनों के प्यार को, हमारी झूठी तकरार को, तब भावना के मेरे संसार का क्या होगा. चांद भी होगा  और  आसमा में ये सितारे भी रहेंगे सपनो में होगा  मिलना हमारा […]

हाथ भले ही टूटे मेरा, कलम नहीं टूटने दूँगा। श्वाँस भले ही टूटे मेरा, मनुता नहीं छूटने दूँगा। जब तक न जागे धरती पर, यह जनता भोली भाली। हाथ भले दबाले जालिम, कलम नहीं रुकने वाली। ✍✍✍ तू क्या रोके अत्याचारी, असि से तेज कलम है काली। गोली या तलवार […]

हर आहट पर लगता है कुछ होने वाला है। जीवन रूपी माला में कुछ पिरोने वाला है।। रुके  हुए  जल  पर कुछ हलचल है आजकल। लगता है ठहरा हुआ मन हिलोरे खाने लगा है।। बागों  में  होले होले कुछ पत्तो में सरसराहट सी है। मौसम बदल रहा है, ठंडी हवा […]

आदिकाल में रहा जंगलों में आदमी करता रहा झुंड बनाकर पशुओं का शिकार आज का आदमी कहलाता है सभ्य करता है शिकार आदमी का होता है शिकार आदमी का खो गए झुंड आधुनिकता की चकाचौंध में हो गया आदमी भीड़ में भी अकेला #विनोद सिल्ला   जीवन परिचय   विनोद […]

तुम्हारी नजरों में मैं अब बहुत चालाक हो गई हूं क्योंकि तुम्हारे झूठे आश्वासन और सच्चे वादे के बीच का फर्क जो समझने लगी हूं तुम्हारे झूंठे वादे चांद को मेरे जूडे में नही सजा सकते और न ही मेरी माँग सजा सकते है सितारों से अब जानती हूं मैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।