एक तरफ कर्त्तव्य रखा हो, दूजे ओर रखा अधिकार। तौल करें हम हृदय तुला से, फिर लघु-गुरु का करें विचार॥ छोड़ कर्म को,बस केवल हम, स्वार्थ भावना के आधीन। ऐसे देश नहीं सुधरेगा, जल बिनु नहीं बचेगी मीन॥ हक को भूल,कर्म के पथ पर, मौन खड़े क्यों? कदम बढ़ाए। […]
काव्यभाषा
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