मैं हुँ “जैन ” …………./ ना छुरी रखता हुं, ना पिस्तौल रखता हुं / जैन ” का बेटा हुं, दिल में जिगर रखता हुं / इरादों मे तेज़ धार रखता हुं / इस लिए हंमेशा अकेला ही निकलता हुँ / बंगले गाडी तो ” जैनियों ” की घर घर की […]

मै स्त्री हूँ हर मुश्किल से खुद को  उबार लेती हूं। नही मिलता वक्त फिर भी  अपने लिए निकाल लेती हूं। टूटती हु बार बार अंदर से  फिर भी अपनो के लिए मुस्कुरा  देती हूं। ठहराई जाती हूं गलत मै  कई बार फिर भी जरा चुप्पी साध लेती हूं  मैं […]

इस बात का डर है वो कहीँ रूठ न जायें I नाजुक से है अरमान मेरे टूट न जायें l फूलों से भी नाजुक है उनके होठों की नरमी I सूरज झुलस जाये ऐसी सांसों की गरमी I इस हुस्न की मस्ती को कोई लूट न जाये I इस बात […]

कवि सम्मेलनों का समृद्धशाली इतिहास लगभग सन १९२० माना जाता हैं । वो भी जन सामान्य को काव्य गरिमा के आलोक से जोड़ कर देशप्रेम प्रस्तावित करना| चूँकि उस दौर में भारत में जन समूह के एकत्रीकरण के लिए बहाने काम ही हुआ करते थे, जिसमें लोग सहजता से आएं और वहां […]

वेष दिगम्बर धारी मुनिवर करुणा अब जगाएँगे पार करो खेवैया नहीं तो हम भव में ठहर जाएँगे भक्ति भाव से आपको पुकारें हे! विशुद्ध महासंत कृपा प्रकटाओ अपनी नहीं तो हम किधर जाएँगे आपने ठहराई आस अब लेता हूँ दोनों हाथ पसार नाम आपका लेकर बाधाओं से हम पार हो […]

बड़ी मुददत और श्रध्दा से चाहा है तुम्हें l बड़ी दुआओं और अच्छे कर्मो से पाया है तुम्हें I तुम ने भुलाने का सोचा भी कैसे प्रिये l किस्मत की लकीरों से हमने चुराया है तुम्हें।1  इसलिए कहता हूँ की जिसे निभा न सकूँ /  ऐसा वादा में कभी नही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।