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मै स्त्री हूँ हर मुश्किल से
खुद को उबार लेती हूं।
नही मिलता वक्त फिर भी
अपने लिए निकाल लेती हूं।
टूटती हु बार बार अंदर से
फिर भी
अपनो के लिए मुस्कुरा
देती हूं।
ठहराई जाती हूं गलत मै
कई बार
फिर भी जरा चुप्पी साध लेती हूं
मैं हा बिना उफ किये
बहुत सी जिम्मेदारियां संभाल
लेती हूं मैं।
हा लड़ती हू सच्चाई
के लिए कई बार
हा अपनो को जिताने के लिए
हार मान लेती हूं।
हा नही सहती दर्द अब
अपने भावनाओ को कागज पर
उतार देती हूं।
महसूस करती हूं तन्हा
खुद को कई बार
हा तब घर के कोने में
खुद को तलाशती हु।
हा मैं स्त्री हु सब संभाल लेती हूं
अपनो की खुशी के लिए
सब वार देती हूं।
#नीरा जैन
पता जयपुर (राजस्थान)
शिक्षा Ba Ma BJMC MJMC…..
लेखिका कवियत्री एंकर मोटिवेशनल स्पीकर ओर आकाशवाणी जयपुर में उदघोषक
प्रकाशन ..समाचार पत्र पत्रिकाओ में लेख प्रकाशित
सदल सुगंध.शब्द शब्द महक.साहित्य उदय , साहित्य कुंदन संगम संकल्पना सांझा काव्य संग्रह में रचनाये प्रकाशित
पुस्तक करियर इन मीडिया प्रकाश्य
विश्व हिन्दी रचनाकार मंच से वरिष्ठ हिंदी कवियत्री सम्मान
कविता लोक सृजन संस्थान से साहित्य सुधाकर संम्मान
कृतिकार संस्थान की तरफ से साहित्य कुंदन पुरस्कार
पर्यावरण. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.कन्या भ्रूण जैसे मुद्दों पर जागरूकता को आगे बढ़ाया।
समाज सेवा…बच्चो ओर महिलाओ के विकास के लिए कार्यरत
हरियाणा करनाल से महिला सशक्तिकरण पर कार्य करने हेतु राष्ट्र रतन पुरस्कार से सम्मानित
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Mon Jun 18 , 2018
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