माँ तेरा नहीं पर्याय, धरा-सा आँचल, नभ सी छाँव, सहा नौ माह का दर्द, मेरे हर दर्द में फैला दी बांह। झील-सी ठंडी, समुद्र-सी अथाह सरिता-सी अविरल, संक्षिप्त नहीं हो, तुम पर क्या लिखूँ? हे निश्छल! ईश्वरीय कृति, जब अथाह प्यार सिमटे संसार में आई, हर रिश्तों में रची-बसी और […]
काव्यभाषा
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