*रात*

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braj shreevastav
रात ही है
जो दिन के लिए चुनौती है
दिन लगातार पीछा कर रहा है
रात का
यह है कि तंग कर रही है
क‌ई बार बहुत लंबी हो जाती है
लोग हैं कि इसे पार कर लेते हैं
अलबत्ता मैं एक रात की नदी में
बह रहा हूं
सदियों से सूरज की पीठ
के‌ साथ रह रही है रात
चंद्रमा की सैना
गश्त दे रही है
फिर भी
मनुष्य के दुःखों
और रातों में
कुछ बातें
एक सी हो रही हैं।
                                 #ब्रज श्रीवास्तव

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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