निकलूं मैं जब तेरी गलियों से
राहों में प्रियतम तुम मिल जाओ।
लौटा दो तुम अब मेरी नींद मुझे
वापस मेरा मुझको दे दिल जाओ।।
भटक रही शाम बिन तेरे
भटके – भटके से दिन हैंं।
क्या जानो तुम हाल मेरा
हम जीते कैसे तुम बिन हैं।।
पस्त अवारा अब दिन हैं
अवारा अवारा शाम हो गई।
जो कुछ श्रुति थी पास मेरे
सब यादों में तेरी खो गई।।
पीपल प्रीतम तुम्हे पुकारे
इक बारी फिर आ जाओ।
कोयल कहती कर कूहू-2
तुम भी अपना हाल सुनाओ।।
खाली – खाली से मेरे सूने दिल में
प्रियतम तुम लव फार्म फिल जाओ।
लौटा दो तुम अब मेरी नींद मुझे
वापस मेरा मुझको दे दिल जाओ।।
#आशुतोष मिश्र
तीरथ सकतपुर
I like the report
Thanks, it’s quite informative