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सोने से पहले लिखा गया
मेरा वो आखिरी शेर ;
एक पूरे सादे कागज पर
तुम्हारे नाम का शेर..
रात भर देता रहा आवाजें।
और वहीं पड़ी एक कलम थी,
कोशिश करती रही जो
खुद-ब-खुद लिख जाने की।
मैं सोया था,
बिस्तर पर एक किनारे,
और जो बह रहा था
वो जल ही था शिराओं में।
मेरे दोस्त ,
वक़्त नहीं ला सका था
तुम्हें मेरे करीब,
कलम भी न ला सकेगी,
अब मुझे तुम्हारे करीब।
#सत्येंद्र कुमार
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