मेरा गणतंत्र मेरा संविधान

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manak lal
आज जब हम अपने देश का ६९ वा  गणतंत्र दिवस मना रहे हैं,सभी तरफ भारत के महान तिरंगे को फहरा रहे हैं,सभी और भारत महान के जयकारे और वन्दे मातरम के नारे लगा रहे हैं,वो सब तब हुआ,जब भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई तो इस संविधान सभा ने और इसने अपना कार्य ९ दिसम्बर १९४६ से अपना संविधान निर्माण का कार्य आरम्भ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य के रूप में भारत के राज्यों की राज्य सभाओं के वो सभी निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने गए थे,जिनमें मुख्य रूप से महामना डॉ.भीमराव आंबेडकर,जवाहरलाल नेहरू,डॉ.राजेन्द्र प्रसाद,सरदार वल्लभ भाई पटेल,मौलाना अबुल कलाम आजाद और भी कई अन्य महान वैचारिक नेता और जागरूकजन थेl उस समय राज्यसभा सदस्य इस महासभा के प्रमुख सदस्य थेl संविधान निर्माण सभा में कुल २२ समितियां थी,जो संविधान में किसी न किसी रूप में सहयोगी थी,जिसमें से एक बहुत ही खास प्रारूप समिति (निर्माण समिति) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थीl इस समिति का कार्य बहुत ही जिम्मेदारी पूर्ण और मुख्य रूप से संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ था,जो बहुत ही जरूरी,उस वक़्त की बहुत आवश्यक और विधि वेत्ताओं की समिति थीl यह अपनी पूर्ण ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर अडिग होकर कार्यरत थीl इस प्रारूप समिति के अध्यक्ष बनाए गए भारत ही नहीं,विश्व के महान विधिवेत्ता डॉ.भीमराव आंबेडकर थे। उस समय के सभी जानकारों में विश्व के सभी देशों के संविधान के जानकार थे और प्रत्येक देश की भाषा,विचारधारा,कानून,जानकारी के जानकार और एकमात्र ज्ञाता आप ही थेl तब ही समस्त प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से जानकारी रखने वाले डॉ.बी.आर. आंबेडकर को इसका जिम्मा दिया थाl अपने जीवन के अथक परिश्रम,लगन-सजगता सम्पूर्णता से इस महान कार्य को २ वर्ष,११ माह,१८ दिन में करके उन्होंने सभी की बात को रखते हुए भारत देश के इस पावन महान भारतीय संविधान का निर्माण कियाl संविधान सभा के उस समय के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को २६ नवम्बर १९४९ को भारत का संविधान अम्बेडकर जी ने पूर्ण निर्माण कर सुपुर्द किया,इसलिए आज भी हमारे देश में २६ नवम्बर के दिन को भारत में `संविधान दिवस` के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा के सभी सदस्यों और डॉ.आम्बेडकर यानी बाबा साहेब ने  संविधान निर्माण के समय कुल ११४ दिन बैठक की। उस समय लिखे जाने वाले संविधान में सभी को इसकी प्रतियां बताई जाती और सभा की प्रत्येक बैठक में संवाददाता और जागरूक जनता को भाग लेने की विचार अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतन्त्रता थी,ताकि समस्त देश की जानकारी में रहे कि हमारे देश का संविधान लिखा जा रहा है और सभी तथ्यों की सभी को जानकारी होl  सभी की सलाह और मशवरे से उसमें अनेक सुधारों और बदलावों के बाद संविधान निर्मात्री सभा के ३०८ सदस्य और बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर ने २४ जनवरी १९५० को भारत देश के संविधान की दो मूल हस्तलिखित पुस्तिकाओं पर सभी ने अपने सहमति पूर्ण हस्ताक्षर किएl इस सभी प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शिता से रखा गया,ताकि कल कोई संविधान पर उंगली न उठाए,इसके सभी प्रक्रिया के ठीक 2 दिन बाद भारतीय संविधान २६ जनवरी को इस स्वतन्त्र भारत देश पर पूर्ण रूप से समस्त देश भारत भर में लागू हो गया। २६ जनवरी को संविधान लागू हुआ,इसलिए इसे संविधान दिवस-गणतंत्र दिवस कहा जाता हैl २६ जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा के सभी सदस्य और अध्यक्ष भीमराव आम्बेडकर ने सभी के द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को सभी देश में एक समान एक साथ मान्यता प्रदान की। आज आप-हम सभी भारतीय नागरिक उस महान संविधान की मूल अवधारणा को मान रहे हैं,जिसमें देश के प्रत्येक नागरिक,चाहे वो महिला हो ,पुरुष हो,बच्चे हो,किसी भी धर्म,जाति वर्ग,सम्प्रदाय पन्थ से हो सभी को समता,समानता,शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार,कार्य और अवसर को बराबर रूप से लागू करता है,इसलिए भारत वर्ष की सम्पूर्ण व्यवस्था को अपने आदेशों,कार्यों,संकलनों के आधार पर हमारा संविधान गतिमान रखे हुए हैl

#मानक लाल ‘मनु’
परिचय : मानक लाल का साहित्यिक उपनाम-मनु है। आपकी जन्मतिथि-१५ मार्च १९८३ और जन्म स्थान-गाडरवारा शहर (मध्यप्रदेश) है। वर्तमान में आडेगाव कला में रहते हैं। गाडरवारा (नरसिंगपुर)के मनु की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी साहित्य-राजनीति) है। कार्यक्षेत्र-सहायक अध्यापक का है। सामाजिक क्षेत्र में आप सक्रिय रक्तदाता हैं। लेखन  विधा-कविता तथा ग़ज़ल है। स्थानीय  समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लेखन गतिविधियों के लिए कई सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं की सदस्यता ले रखी है। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक सरोकार,हिंदी की सेवा,जनजागरुक करना तथा राष्ट्र और साहित्यिक सेवा करना है। 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।