उस चांद की है सारी चांदनी,
और उसे मामा बताया हैl
देकर के नया जीवन जिसने,
मुझे जीना सिखाया हैl
दुखाकर आँखों को उसकी,
मैंने जब भी उसे जगाया हैl
गाकर के लोरी उसने,
हर बार मुझे सुलाया हैl
भुलाकर शर्म जिसने,
भीड़ में भी सीने से लगाया हैl
जब-जब था मैं भूखा,
मुझे अपना दूध पिलाया हैl
आसमान की परियों को जिसने,
मेरी सखियां बताया हैl
उंगली को थामकर जिसने,
मुझे चलना सिखाया हैl
उस `मां` के लिए और क्या लिखूं,
जिसने मुझे लिखना सिखाया हैll
#मृत्युंजय सिसोदिया
परिचय : मृत्युंजय सिसोदिया की जन्मतिथि-१९ जुलाई १९९८ तथा जन्म स्थान-डोराई,बेगूं(चितौड़गढ़-राजस्थान) हैl आपका वर्तमान निवास भी बेगूं(चितौड़गढ़) में ही हैl राजस्थान के श्री सिसोदिया की शिक्षा-बी.टेक.(अभियांत्रिकी) होने से कार्यक्षेत्र अभियांत्रिकी ही है l सामाजिक क्षेत्र में आप समाज के युवा समूह से जुड़े हुए हैं। आपकी कविताओं को अखबारों में स्थान मिला हैl ब्लॉग पर भी लिखने वाले मृत्युंजय सिसोदिया खो-खो खेल के अच्छे खिलाड़ी हैं।बचपन से ही काव्य में रूचि रखने वाले मृत्युंजय सिसोदिया के लेखन का उद्देश्य कविताओं के जरिए अपनी बात को सब तक पहुंचाना है।
Very good kya baat h
Nice
Very good dear, Keep it up ,