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जग में खुशी के दीप जलाती हैं नारियाँ,
घर-घर से अँधेरों को भगाती हैं नारियाँ।
आँगन की ये शोभा हैं,घरों की हैं लक्ष्मी,
जीवन को स्वर्ग जैसा बनाती हैं नारियाँ।
उनकी सुनाई देती हैं हृदय में धड़कनें,
उपवन में हर कली को खिलाती हैं नारियाँ।
शक्ति पर इनकी गर्व है हिन्दोस्तान को,
झाँसी की रानी बन के दिखाती हैं नारियाँ।
सेवा में देश की हैं ये पुरुषों से कम नहीं,
अपने वतन की शान बढ़ाती हैं नारियाँ।
ममता का है सागर यही माता के रूप में,
संतान को आँचल में छुपाती हैं नारियाँ।
दु:ख में भी ऐ ‘पंकज’ है उन्हें सहनशीलता,
खुश हो के सभी कष्ट उठाती हैं नारियाँ॥
#पंकज सिद्धार्थ
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