Read Time1 Minute, 10 Second
समय के कोरे कागज पर,
नित नया इतिहास लिखें।
मन के प्यासे अधरों पर,
हम गीतों की प्यास लिखें॥
पल-पल घटते जीवन की,
स्वांस-स्वांस का मोल लिखें।
मन के प्यासे अधरों पर,
हम गीतों की प्यास लिखें॥
ये तेरा और ये मेरा,
सब असार का सार लिखें।
मन के प्यासे अधरों पर,
हम गीतों की प्यास लिखें॥
भटके मन के राहगीर को,
मोक्ष द्वार का मार्ग लिखें।
मन के प्यासे अधरों पर,
हम गीतों की प्यास लिखें॥
#अरविंद ताम्रकार ‘सपना’
परिचय : श्रीमति अरविंद ताम्रकार ‘सपना’ की शिक्षा एमए(हिन्दी साहित्य)है।आपकी रुचि लेखन और छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही जरुरतमंद की सामर्थ्यानुसार मदद करने में है।आप अपने रचित भजन खुद गाकर व लेखन द्वारा अपने मनोभावों को चित्रित करती हैं। सिवनी(म.प्र.)के समता नगर में आप रहती हैं।
Post Views:
497
Wed Dec 6 , 2017
चंचलता या मुस्कान मेरी, मेरी आभा ओ शान मेरी, सब कुछ जो है सरलता मेरी, मेरा मुझमें जो भी है मुझसा ही तो है, मैं बदलूं खुद को क्यों किसके लिए, मेरा मुझमें जो भी है मुझसा ही तो है, चाहे कोई मुझे या न चाहे मैं खुद को ही […]