संघ प्रमुख तीन काम करें

0 0
Read Time4 Minute, 20 Second

vaidikji
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल की बैठक आजकल भोपाल में हो रही है। यहां गैर-हिंदीभाषी क्षेत्रों के प्रचारकों की विशेष बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत इन प्रचारकों को ‘मातृभाषा अभियान’ चलाने की प्रेरणा देंगे,यानि प्राथमिक शाला के बच्चों को अंग्रेजी की चक्की में पिसने से बचाएंगे। देश के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा मातृभाषाओं में हो,इस पर प्रचारक जोर देंगे। प्रचारक क्या जोर देंगे,कैसे जोर देंगे,वे क्या करेंगे,उनका कहना कौन सुनेगा? लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के खर्चीले स्कूलों में क्यों भेजते हैं,यह सवाल मोहनजी को पहले खुद से पूछना चाहिए। उन्हें पता है कि इसका जवाब क्या है। आज भारत का गरीब-से-गरीब आदमी चाहता है कि,उसके बच्चे पढ़-लिखकर बड़ी-बड़ी नौकरियां करें। हमारे देश में सरकारी नौकरियों के लिए सबसे बड़ी और अनिवार्य योग्यता क्या है-अंग्रेजी भाषा! आपको अपनी नौकरी का हर गुर अच्छी तरह मालूम है,लेकिन अगर आप अंग्रेजी नहीं जानते तो वह नौकरी आपको नहीं मिलेगी। सरकारी ही नहीं,निजी नौकरियों में भी इसी की नकल चल पड़ी है। इसीलिए संघ-प्रचारकों के उपदेश चिकने घड़े पर से फिसल जाएंगे।
अतः मोहनजी अपना समय और शक्ति इस उपदेश-कथा में नष्ट नहीं करें। इसकी बजाय वे तीन काम करें। सबसे पहले सर्वज्ञजी से कहें कि,वे संसद में ऐसा कानून लाएं,जिससे देश में विदेशी भाषा के माध्यम की हर पढ़ाई पर प्रतिबंध लगे। सिर्फ प्राथमिक शिक्षा में ही नहीं,पीएचडी में भी। अब से ५० साल पहले मैंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी का शोध प्रबंध लिखकर (ज.नेहरु विवि में) भारतीय भाषाओं के बंद द्वार खोल दिए थे। इसका अर्थ यह नहीं कि,हम विदेशी भाषाएं न पढ़ें। स्वेच्छा से अनेक विदेशी भाषाएं पढ़ें और उनमें महारत हासिल करें। मैंने स्वयं रुसी,जर्मन और फारसी पढ़ी। अंग्रेजी तो मुझ पर बचपन से ही लदी हुई थी। स्वेच्छा से अंग्रेजी पढ़ने में कोई बुराई नहीं है। दूसरा काम सरकार यह करे कि,सरकारी नौकरियों की भर्ती-परीक्षा से अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म करे।
तीसरा काम,जो संघ के स्वयंसेवक करें,वह यह कि सरकार संघ की बात न माने तो,लाखों स्वयंसेवक सारे देश में अहिंसक सत्याग्रह करें,धरने दें,उपवास करें,प्रदर्शन करें। वे अंग्रेजी माध्यम की शालाओं को बंद करवाएं,सरकारी दफ्तरों और नेताओं की गर्दन नापें और देश के सारे काम-काज में स्वभाषाओं को प्रतिष्ठित करें। अब से साढ़े तीन साल पहले मैंने सब स्वभाषा में हस्ताक्षर करें,ऐसा अभियान चलाया था। मोहनजी ने बेंगलूरु में संघ के विराट सम्मेलन में समस्त स्वयंसेवकों से मेरा नाम लेकर संकल्प करवाया था। मैं उनका आभारी हूं। उस अभियान को आगे बढ़ाना है। कम-से-कम दस करोड़ लोगों के दस्तखत अंग्रेजी से बदलवाकर हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में करवाना है। यह छोटी-सी लेकिन महत्वपूर्ण शुरुआत है। कम-से-कम इतना तो करें।
(आभार-वैश्विक हिन्दी सम्मेलन,मुंबई)

            #डॉ.वेद प्रताप वैदिक

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पितृ छाया में 

Wed Oct 11 , 2017
पिता, पिता ही नहीं, पिता बनकर पिता रुप में, पिता एक बहुत ही महान आत्मा होती है कर्मठता यदि उसकी कुछ कर नहीं पाती है,तो अन्तरात्मा उसकी सिसक-सिसककर रोती है। पिता परिवार का मुखिया, पालनकर्ता है, इसलिए पिता भरसक यह कोशिश करता है कि, पेट अपना चाहे भरे,न भरे पर […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।