अभिनय का वट वृक्ष ‘अमिताभ’

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 ७५वीं वर्षगांठ पर विशेष
भारतीय फिल्माकाश पर आज अलौकिक दैदीप्यमान तारे की तरह गत पांच दशकों से अपने अभिनय की चहुंऔर बहुमुखी आभा बिखेरते चले आ रहे अमिताभ बच्चन की आज ११ अक्टूबर को ७५ वीं वर्षगाँठ है। एक ऐसा व्यक्तित्व,जो अभिनय रुपी शहद के कटोरे से मंद-मंद मुस्कान बिखेरने में सफल रहा और जिसने युवाओं के बीच एक लक्ष्य रखने में अपना शत-प्रतिशत दिया।
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११अक्टूबर १९४२ को ख्यात कवि हरिवंशराय बच्चन (श्रीवास्तव) के यहां इलाहाबाद में जन्मे अमिताभ ने पिता के अनुशासन व मां तेजी बच्चन के स्नेह और ममत्व की घनी छाँव में जीवन का ककहरा सीखा। बीएससी की शिक्षा पूर्ण करने के बाद अमिताभ ने फिल्म यानि अभिनय क्षेत्र की ओर रुख किया,किन्तु ‘सात हिन्दुस्तानी’ (1969 )फिल्म से अभिनेता के रुप में अपना सफर शुरु करने वाले अमिताभ की एक के बाद एक कई फिल्में असफल रहीं। तब भी संघर्ष और जीवट के धनी अमिताभ बच्चन ने धैर्य नहीं खोया। फिर प्रकाश मेहराकृत फिल्म ‘जंजीर’ में अमिताभ की संवाद अदायगी और अभिनय ने फिल्म प्रेमियों का मन मोह लिया। अमिताभ रातों-रात श्रेष्ठ सितारा नायकों की कतार में आ खडे़ हुए। यही वह समय था,जब  महासितारा की पायदान पर विराजमान राजेश खन्ना के किले में सेंध लगना शुरु  हो गई थी। राजकपूर,दिलीप कुमार और देवानंद की तिकडी़ अपने अस्तांचल में प्रवेश कर रही थी। अमिताभ ने सफलता की एक सीढ़ी तय क्या की,किसी अबाध बहते झरने की तरह उनकी लोकप्रियता शीर्ष पर जा पहुंची। संघर्ष और अभिनय की तपिश में वे ऐसा सोना बनकर निखरे, जो हर तरह के आभूषण (भूमिका) में अपनी पहचान और चमक नहीं खोते हैं।
     हिन्दी सिनेमा ही नहीं,बंगला,भोजपुरी व पंजाबी फिल्मों में भी अमिताभ ने अपनी कुशल अभिनय प्रतिभा का परिचय दिया।
‘अमर अकबर एंथोनी’ व ‘डॉन’ ( १९७८) के लिए अमिताभ बच्चन को श्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार, ‘आनंद’ और ‘नमक हराम’ के लिए श्रेष्ठ सह अभिनेता का पुरस्कार मिला। दर्जनभर स्व अभिनीत फिल्मों में गायन के साथ कई फिल्मों में दोहरी व तीहरी भूमिका का भी अमिताभ जी ने निर्वाह किया। १९८४ में भारत शासन ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया।अमर गायक किशोर कुमार की आवाज भी अमिताभ को बुलंदियों तक पहुंचाने में काफी मददगार रही। वे आज स्वच्छता अभियान से भी जुडे़ हैं, चुनिंदा फिल्मों में काम के साथ-साथ वे देश के जन-जन तक ‘कौन बनेगा करोड़पति?’ टीवी-शो के माध्यम से हिन्दुस्तानियों के दिलों की धड़कनों को असंयत कर रहे हैं। अमिताभ की शख्सियत पूर्णिमा के चाँद की तरह रोशनी और दर्शकों के दिलों को अभी भी ठंडक पहुंचा रही है। सदी के इस महासितारे अमिताभ बच्चन को वर्षगाँठ पर मनभर शुभकामनाएं…उनकी शानदार आवाज़ यूं ही गूंजती रहे।

                                                               #कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’

परिचय : कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) में गांधीनगर में बसे हुए हैं।१९६५ में जन्मे कार्तिकेय जी कई वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। रचनाओं के प्रकाशन सहित कविताओं का आकाशवाणी पर प्रसारण भी हुआ है। आपकी संप्रति शास.विद्यालय में शिक्षक पद पर है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।