ज़ख्म हम दिल के दिखाएँ तो दिखाएँ कैसे,
हो गई है जो ख़ता उसको बताएं कैसेl
रोज़ नफ़रत की दीवारें है उठाता ये जग,
दिल को फ़ित्नों से बचाएँ तो बचाएँ कैसेl
मुफ़लिसी देख मेरी जिसने भुलाया मुझको,
ऐसे इंसां को वफ़ादार बताएँ कैसेl
दिल से जो इश्क-मुहब्बत को दिखावा समझे,
फिर कहो प्यार भला उससे जताएँ कैसेl
रोज़ मर-मर के `मधुर` काट रहे अब जीवन,
रस्में चाहत की निभाएँ तो निभाएँ कैसेl
#पुनीत मिश्र
परिचय: पुनीत मिश्र लेखन में उपनाम-मधुर का उपयोग करते हैंl आपकी जन्मतिथि-११ दिसंबर १९९८ व जन्मस्थान-गोला गोकर्णनाथ हैl बी.एस-सी. करने के बाद आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षा ही हैl आप उत्तर प्रदेश राज्य के शहर गोला गोकर्णनाथ(लखीमपुर खीरी) में ही रहते हैंl आप गीत,ग़ज़ल एवं मुक्तक रचने के अभ्यस्त हैंl कुछ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं तो,अॉनलाइन कवि सम्मेलन में `काव्य भूषण` सम्मान मिला हैl आपके लेखन का उद्देश्य- शौक एवं हिन्दी भाषा को समाज में जागृत रखना हैl