न `पोस्टर` काम का,न बूढ़े `बॉयज`

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edris
हिन्दी में भी प्रदर्शित `पोस्टर बॉयज` फिल्म कमज़ोर हास्य का कमज़ोर चित्रण हैl इसमें कॉमेडी,इमोशनल ड्रामा है,पर फिल्म कमजोर हैl कलाकार सन्नी,बॉबी,श्रेयस और समीक्षा भटनागर हैंl २ घण्टे 8.४२ मिनट की इस फिल्म के निर्देशक श्रेयस तलपड़े हैंl इसका बजट 15 करोड़ हैl कमज़ोर हास्य के कमज़ोर चित्रण वाली इस फिल्म में `न पोस्टर काम का,न बूढ़े बॉयज` काम के हैंl श्रेयस तलपड़े द्वारा प्रोड्यूस की गई मराठी फिल्म ने इसी नाम से बड़ी सफलता पाई थीl उसी का हिन्दी रूपांतरण किया,लेकिन बात जम नहीं पाई हैl
कहानी यह है कि,हरियाणा में तीन लोग-ज़गावर चौधरी (सन्नी-सेवानिवृत्त सेना अधिकारी),स्कूल शिक्षक विनय शर्मा(बॉबी) ,अर्जुन सिंह(श्रेयस) और चौधरी साहब का बड़ा रुतबा और मुकाम हैl विनय सज्जन स्कूल शिक्षक है तो अर्जुन गाँव का छुटभैया गुंडा हैl एक सरकारी गलती से इन तीनों के चित्र नसबंदी के पोस्टर पर छप जाते हैं,और शुरू होती है तीनों की मुसीबतें,जो पारिवारिक होते हुए सार्वजनिक रूप ले लेती हैl
परिस्थितिजन्य( यानी सिचुएशनल कॉमेडी) हास्य का अच्छा स्कोप था,और माहौल भी बनता लगा लेकिन घिसे-पीटे पंच फ़िल्म को बांध नहीं पाएl अपने मान-सम्मान के लिए तीनों जंग छेड़ देते हैं और सरकार से भिड़ जाते हैंl परिवार और समाज में जिल्लत तो ठीक,बात आत्मसम्मान की होते हुए सरकार तक पहुँचती हैl
भावनात्मक भाग में भी एक गाने के सिवा कुछ सुनने काबिल नहीं बनता हैl `नूरे खुदा` कैलाश की आवाज के साथ दिल तक उतर जाता है,तो संगीत औसत हैl अभिनय की बात करें तो सन्नी,श्रेयस ठीक-ठाक लगे हैं,जबकि बॉबी नए अवतार में थेl
फ़िल्म की कुल लागत प्रोडक्शन्स सहित १५ करोड़ हैl इसे १००० से अधिक सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया है,लेकिन ३-५ करोड़ से बड़ी उम्मीद नहीं की जा सकती हैl फ़िल्म अगर ३० करोड़ से ज्यादा का व्यापार करेगी तो कामयाब मानी जाएगीl इसी कहानी की मराठी फिल्म ने बड़ी सफलता हासिल की थी और सफलतम फिल्मो में से एक साबित हुई थी,लेकिन निर्देशक यहां हिन्दी में चूक गए हैंl

                                                                    #इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।