यक़ीन था तेरी वफ़ाओं पर,
तूने क्यों बेवफ़ाई की।
क़ैद था तेरी मुहब्बत में,
मुझे क्यों रिहाई दी॥
यक़ीन था तेरी चाहत पर,
तूने क्यों तन्हाई दी।
उम्र गुज़ारना मुश्किल है,
तूने क्यों जुदाई दी॥
#वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,इसलिए लेखन में हुनरमंद हैं। साथ ही एमएससी और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए किया हुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।
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Mon Sep 11 , 2017
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