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खुशकिस्मत होते हैं वो पिता जिनकी बेटियां होती है।
सब दुःख भूल पिता की वो प्रहरी होती है॥
बेटे भी किसी की बेटी की खातिर पराए हो जाते हैं।
बेटी पराई होने पर भी अपनों के साथ रहती है॥
जब भी मुसीबत में पिता होते हैं,बेटी रह नहीं पाती है।
बेटा देरी कर दे,पर बेटी दौड़ी चली आती है॥
दुःख चाहे कितने भी हों, दिल में चेहरे पर मुस्कान रहती है।
बेटी संसार का सुंदर सपना है,उसके लिए पराया भी अपना है॥
#प्रमोद बाफना
परिचय : प्रमोद कुमार बाफना दुधालिया(झालावाड़ ,राजस्थान) में रहते हैं।आपकी रुचि कविता लेखन में है। वर्तमान में श्री महावीर जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय(बड़ौद) में हिन्दी अध्यापन का कार्य करते हैं। हाल ही में आपने कविता लेखन प्रारंभ किया है।
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Fri Jul 21 , 2017
वन अशोक में ऋतु बसन्त यूँ , बारह मासों रहता था। मध्य भाग में नीलवर्णी जल, तिरछा टेढ़ा बहता था॥ एक लक्ष अशोक वृक्ष से, घिरा हुआ वह कानन था। कमनीय लता से आच्छादित वहाँ, सघन स्वच्छ इक कुंजन था॥ कोकिल,शुक,सारिका,मयूरः, चक्रवाक ,सारस ,हंसा। जलक्रीड़ा,कलरव, विहार, करते तड़ागों में निःसंसा॥ […]