तुम हमसे अलग हो

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mohsin
मेरे सामने की दुनिया
कितनी तेज़ी से बदल रही है,
बदल रहे हैं कई शब्द
लोप हुए जा रहे हैं कई अर्थ,
उग आए हैं कई मुहावरे
कंटीली झाड़ियों की तरह।
मैं प्यार करता था
जिस लड़की से,
वो हिन्दू थी
सोचा था मैं भी हो जाऊँगा हिन्दू
ठीक उसी समय
मुझे ‘लव जेहादी’ कहकर
मार डाला गया बड़ी बेरहमी से।
मेरे हिन्दू पड़ोसी खिलाते थे
गाय को रोज़ रोटी,
मैं भी अक्सर गाय को रोटी खिलाता था,
लेकिन एक रोज़ जब खिलाई रोटी
तो गाय मर गई किसी कारण से
उस दिन मुझे फिर मारा गया।
मुझे धीरे-धीरे भी मारा जा रहा है
कभी कश्मीर के आतंकवादी के नाम पर,
कभी क्रिकेट में पाकिस्तान का
समर्थक घोषित करके,
मुझे धकेला जा रहा है
मोहल्लों से बाहर
जहाँ हिन्दू ज़्यादा आधार हैं,
मेरे सामने की दुनिया बदल रही है
मुझसे छीना गया वो सब कुछ
जो मैं अपने हिन्दू पड़ोसियों से सीखता रहा,
बहुत जबरन मेरे अंदर के एक भाग को
आक्षेपों से रगड़-रगड़कर
मिटाया जा रहा है
और लिखा जा रहा है
तुम हमसे अलग हो॥

                                                                                        #डॉ. मोहसिन ख़ान

परिचय : डॉ. मोहसिन ख़ान (लेफ़्टिनेंट) नवाब भरुच(गुजरात)के निवासी हैं। आप १९७५ में जन्मे और मध्यप्रदेश(वर्तमान में महाराष्ट्र)के रतलाम से हैं। आपकी शैक्षणिक योग्यता शोधोपाधि(प्रगतिवादी समीक्षक और डॉ. रामविलास शर्मा) सहित एमफिल(दिनकर का कुरुक्षेत्र और मानवतावाद),एमए(हिन्दी)और बीए है। ‘नेट’ और ‘स्लेट’ जैसी प्रतियोगी परीक्षाएँ उत्तीर्ण करने के साथ ही अध्यापन(अलीबाग,जिला-रायगढ़ में हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं शोध निदेशक और अन्य महाविद्यालयों में भी)का भी अनुभव है। 50 से अधिक शोध-पत्र व आलेख राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। साथ ही ‘देवनागरी विमर्श (उज्जैन),
उपन्यास-‘त्रितय’,ग़ज़ल संग्रह- ‘सैलाब’और प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, कविताएँ और गज़लें भी प्रकाशित हैं। बतौर रचनाकार आप हिन्दी साहित्य सम्मेलन(इलाहाबाद), राजभाषा संघर्ष समिति(नई दिल्ली), भारतीय हिन्दी परिषद(इलाहाबाद) एवं (उ.प्र. मालव नागरी लिपि अनुसंधान केन्द्र(उज्जैन,म.प्र.)आदि से भी जुड़े हुए हैं। कई साहित्यिक कार्यक्रम सफलता से सम्पन्न करा चुके हैं,जिसमें नाट्य रूपान्तरण एवं मंचन के रुप में प्रेमचंद की तीन कहानियों का निर्देशन विशेष है। अन्य गतिविधियों में एनसीसी अधिकारी-पद लेफ्टिनेंट,आल इंडिया परेड कमांड में सम्मानित होना है। इसी सक्रियता के चलते सेना द्वारा प्रशस्तियाँ एवं सम्मान के अलावा कुलाबा गौरव सम्मान,बाबा साहेब आम्बेडकर फैलोशिप दलित साहित्य अकादमी (दिल्ली)से भी सम्मान पाया है। समाजसेवा में अग्रणी डॉ.खान की संप्रति फिलहाल हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं शोध निदेशक तथा एनसीसी अधिकारी (अलीबाग)की है।

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