मातृभाषा काव्य उत्सव में हिन्दी कविताओं का हुआ पाठ

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डॉ. पद्मा सिंह भाषा सारथी सम्मान से सम्मानित

मातृभाषा एवं इन्दौर टॉक ने मनाया हिन्दी महोत्सव

इन्दौर। कवि सम्मेलन शताब्दी वर्ष निमित्त हिन्दी महोत्सव 2023 के उपलक्ष्य में बुधवार को मातृभाषा डॉट कॉम एवं इन्दौर टॉक ने काव्य उत्सव आयोजित किया, जिसमें कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से हिन्दी कविताएँ सुनाईं।
कार्यक्रम में अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पद्मा सिंह जी ने की।


स्वागत संबोधन मातृभाषा के संस्थापक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने दिया। अतिथि स्वागत इन्दौर टॉक के संस्थापक अतुल तिवारी ने किया।
काव्य उत्सव में डॉ. पद्मा सिंह को भाषा सारथी सम्मान से सम्मानित किया गया।

काव्य उत्सव में संध्या राणे, अनुपमा समाधिया, नेहा लिम्बोदिया, डॉ. पंकज जैन ने काव्य पाठ किया एवं संचालन डॉ. अखिलेश राव ने किया।
अध्यक्ष डॉ. पद्मा सिंह ने कहा कि ‘कविता ब्रह्मवाक्य होती है, समाज में परिवर्तन का कारक होती है।’
संस्थान द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र एवं प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

काव्य उत्सव में अनुपमा समाधिया ने कविता –
कभी कभी अनजान राहों पर भी, कोई अपना सा अनजाना मिल जाता है। अविश्वसनीय सा लगने पर भी, विश्वास का दीप जला जाता है। बिन कुछ कहे बगैर भी, बहुत कुछ कह जाता है। स्वार्थ से भरी इस दुनिया में, ना कोई संबंध ना संबोधन होता है, फिर भी अपना फ़र्ज़ निभाता है। शायद इसलिए ही उसे मित्र कहा जाता है।’

इनके बाद संध्या राणे ने पर्यावरण के लिए काव्य पाठ किया। तत्पश्चात युवा कवयित्री नेहा लिम्बोदिया ने मैं नदिया हूँ, चुलबुली, आज़ाद निराली हूँ। ज़मीन पर रहकर, आसमां को समाती हूँ। मुझसे खुशियां, मुझसे ही दुःख, लहराती हूँ पर, उड़ नहीं पाती हूँ मन आये तो, राह बदलती हूँ। सागर की तरह नहीं, जो राह न बदल सके, मैं नदिया हूँ।’ काव्य पाठ किया।
डॉ. पंकज जैन ने अपनी जन्म भूमि को याद करते हुए काव्य पाठ किया।
आयोजन में मुकेश तिवारी, जयसिंह रघुवंशी, राधिका मण्डलोई , पुणे से आए घनश्याम वर्मा, अशोक गौड़, राजेंद्र खंडेलवाल आदि मौजूद रहे।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।