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1.सूरज कब,
उदित होगा देखो,
तुम ही जरा।
2.रोशनी ढूंढो,
नयनों को तो खोलो,
मैं देखूं जरा।
3.वर्षा ॠतु है,
देखो बाढ़ आ गयी,
फसलें गयी।
4.किसान रोया,
सब खतम हुआ,
मैंने हंसाया।
5.एकाकीपन,
जो काटना होता है,
खूब कठिन।
श्रीमती प्रेम मंगल इन्दौर
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
मातृभाषा उन्नयन संस्थान
भारत
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