
हिन्दी में प्रत्यय का अपना विशेष महत्व है। पुराने जमाने में मेंढक की टर्र बड़ी प्रसिद्ध थी। आदिकाल से ही मेंढक अपनी टर्-टर् की ध्वनि से वर्षा ऋतु के सौंदर्य में चार चांद लगाता आया है। वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है- दादुर मोर पपीहा बोला । मेंढक की इस ध्वनि से इन्द्र, मयूर, पपीहा आदि विशेष लगाव रखते थे। बेचारा दर्दुर तो बरसात में ही अपनी टर-टर की ध्वनि करता है लेकिन वर्तमान में मानव की टर-टर चहुं ओर बारह मास सुनाई देती है। संस्कृति में कहा भी है।
यत्र दुर्दुरः वक्तारः तत्र मौनं हि शोभनम्।।’
अर्थात् जहां मूर्ख वक्ता हो वहां चुप रहना ही श्रेयस्कर है। चारों ओर टर-टर की ध्वनि गूंज रही है। कभी नेता की टर चलती है तो कभी जनता उसे अपनी टर से पदच्युत कर देती है। चार माह पूर्व ही टमाटर की टर ने सेवफल को पीछे छोड़ते हुए 80-90 रू. प्रति किलो तक अपना सम्मान पाया। मोहल्ले की गटर कीचड़ से, साहूकार (दुकानदार) की शटर चोरों से, साइकिल का टायर गेटर से जनता दरोगा के हंटर से और विद्यार्थी गणित में फेक्टर से परेशान दिखाई देते हैं।
हरेक स्थान पर हरेक व्यक्ति की अपनी-अपनी टर है। जिला सरकार में कलेक्टर, स्कूल में मास्टर, अस्पताल में डॉक्टर, मोटर में कण्डक्टर, प्रशिक्षण संस्थान में इंस्ट्रक्टर, क्रिकेट में क्रिकेटर, वर्कशाप में फीटर और आपरेटर, मैदान में फाइटर, कला में पेंटर, मेंच में कमेंटर, डाकखाने में पोस्ट मास्टर, राजनीति में वोटर, संसद में मिनिस्टर, कार्यालय में आडिटर, होटल में वेटर, जंगल में फारेस्टर, फिल्म में डायरेक्टर – एक्टर, निर्माण कार्य में कान्ट्रेक्टर, कक्षा में मानीटर, प्रेस में एडीटर और रिपोर्टर की अपनी-अपनी टर विश्वविद्यालय स्तर तक ख्याति प्राप्त है। ‘टर’ प्रत्यय में अंग्रेजी की टांग पकड़कर सारे विश्व को टर-टर से जोड़ दिया है।
‘वसुधैव हि कुटुम्बकम्। उक्ति को चरितार्थ करते हुए टर की अपनी महत्ता है। टर के बिना हम अधूरे ही गिने जायेंगे। हर स्थान तक मखमल सी कोमल प्रसिद्धि अर्जित की है। बैंक में काउन्टर, नगर में थियेटर, पोस्ट आफिस में लेटर, कारखाने में जनरेटर, नेताओं और फुटबाल में सेंटर और भवन में लेन्टर का विशेष महत्व है। घासलेट में लीटर, बिजली में मीटर, ठंड में हीटर, सड़क पर किलोमीटर, शराब में क्वार्टर, कालोनी में सेक्टर, अखबार में मेटर, परीक्षा में केलकुलेटर, धूम्रपान में लाइटर, लेखन में राइटर, राइटर के लिये टाइपराइटर, दुपहिया में स्कूटर, वाहन में एक्सीलीटर, बुखार में थर्मामीटर, दाल में मटर, कपड़ों में स्वेटर, कृषि में हेक्टर और ट्रेक्टर, स्टेशनरी में रजिस्टर, पेंसिल के लिये कटर, छात्र के लिये ट्यूटर और अब प्रत्येक आफिस में कम्प्यूटर का विशेष महत्व है। उसके अतिरिक्त और भी कई टर है जैसे- अरटीरेटर, मस्टर, क्वाटर, स्टार्टर, क्रीटर, जेटर, चार्टर, फेटर, पेपर सेटर, डेमीनट्रेटर आदि। गांधीजी ने अपनी टर से देश स्वतंत्र कराया, रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी टर से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर भारतीय नारियों का नव उत्साह का मार्ग दिखाया। अमरीका और चीन की भी अपनी विश्व चौधराहट की टर है तो भारत की भी वैज्ञानिक प्रगति करते हुए गौतम और गांधी की विश्व शांति स्थापना की टर है। मैं भी जबरदस्ती कुछ भी लिखकर कागज खराब करने की अपनी टर पर अडिग हूं।
डॉ दशरथ मसानिया,
आगर मालवा म प्र