हम पर है अधिकार तुम्हारा..

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हम पर है अधिकार तुम्हारा,
मेरे सपनों पर भी अधिकार तुम्हारा
देना अगर मुझे तुम फिर तो लौटा देना वो प्यार हमारा।
मैं सांसें भी लेता हूँ तो तुम्हारी इजाजत लेकर के,
द्वार तुम्हारे आऊंगा बस एक शिकायत लेकर के।
प्यार मोहब्बत का रिश्ता न निभाना तुमको आया,
तुम्हारी इस गलती से सपना न हुआ साकार हमारा।
हम पर है अधिकार तुम्हारा………. ।।
बिना सहारे कठिन राह पर चलता रहा अकेला,
मैंने जो राह चुनी है उस पर है काँटों का मेला।
मेरे साथ चलोगे तुम तो थक के हार जाओगे,
होकर नाराज तोड़ दोगे ये सारा व्यवहार हमारा।
हम पर है अधिकार तुम्हारा……. ।।
मेरे घर-आंगन में सुख की नदियाँ बहती हैं,
डाल पे बैठं चिड़िया भी ढाई अक्षर कहती हैं।
प्यार से बोलो मुझसे सारा न्यौछावर कर देंगे,
बीज नफ़रत के बोकर मत तोड़ो परिवार हमारा
हम पर है अधिकार तुम्हारा…..।।

———–#अमित कैथवार

परिचय : शौकिया लेखक अमित कैथवार उत्तर प्रदेश के जिला लखीमपुर (खीरी )में मितौली ग्राम में रहते हैं।

 

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