
माँ बिना कैसा मायका ?
मैं कहती हूँ…..
भाई बिना नहीं मायके का जायका I
कहते है…..
घर की दीवारें बचपन की याद दिलाती है I
मैं कहती हूँ…..
भाई तेरी एक हँसी मेरा बचपन नया कर जाती है I
कहते है…..
मैके की चाह जीने की आस जगाती है I
मैं कहती हूँ…..
भाई मेरे लिए, तेरी एक परवाह मेरा जीवन संवार जाती है I
कहते है……
बचपन मे आँगन के खेल निराले होते है I
मैं कहती हूँ…..
भाभी हो खुश मिजाज तभी रिश्ते दिलवाले होते है I
चाहे कहें लोग नदी से जयादा समुद्र की गहराई है I
मैं कहती हूँ….
मायके की रौनक माँ बाप से बढकर भाभी और भाई हैं।I
इसलिए संजय कहता है यार ,
माँ बाप के साथ बनाये रखे !
भैया भाभी और अपनी बहिनो से सदा प्यार !
यही सब लोग आएंगे तेरे सुख दुःख में साथ !
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।